Sunday 4 September 2016

नन्हा बादल

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
मेरी बालकनी में लटका हुआ बादल
आधा सफ़ेद आधा काजल
दिल का भोलाभाला
खेल रहा था छुपनछुपाई
मेरे बरामदे में रखी थी एक चारपाई
उसके पीछे जा छिपा
यूँ तो चारपाई के रेशों के बीच वो दिख रहा था
पर न जाने वो पागल क्यूँ छिप रहा था
मासूम सा था वो , नन्हे नन्हे पाँव थे
उसकी गोद में बसे बारिशों के गाँव थे
नींद में था वो, आधी खुली आँखे थी उसकी
छोटा सा बच्चा था वो, मखमली सी सांसे थी उसकी
अभी अभी उसने कुछ बोला था
पास में लगे फूलों में शहद घोला था
थी एक पंछी उसकी दोस्त     
खोजते उसे वो आ बैठी    
बगल के नीम में अपना घर बना बैठी
फिर पंछी ने उसे धप्पा बोला
पकड़ लिया तुझको ये कहते ही पंछी के
बादल ने अपनी आँखों को खोला
रात भर दोनों बतियाते रहे
चाँद को भी नींद से जगाते रहे
मिल कर संग जुगनुओं के
बरामदे में मेरे धमाचौकड़ी मचाते रहे
सुबह होने लगी थी, सूरज निकलने लगा था
बादल अब रोने लगा था ,बाट अपने माँ कि वो जोहने लगा था
मैंने उसे उठाया ,ले जा कर उसकी माँ से मिलवाया
अगले ही पल मैंने चारपाई को बिछाया
और खुद को उसपे सोता हुआ पाया


Tuesday 24 May 2016

जीतने कि राह



जीतने जो निकला था मै
राहों में कई मुश्किलें थी
था बांधा तूफानों ने बिजलियों को
फिजाओं में कई बंदिशे थी
मै अपनी हौसलों का दामन थाम चलता गया
कभी गिरता तो कभी संभलता गया
थी नदी भी बह रही उफान पे
चट्टानें भी थी दरकने लगी
मै उम्मीदों कि नाव बना
धाराओं संग मचलता गया
था बहुत शोर अन्दर भी
मेरे मन का डर मेरी कल्पनाओं में समां गया
था वो बहुत छोटा सा पर कहीं मुझे डरा गया
मैंने अपनी सांसों को पकड़ा
अपने मन को जकड़ा
बना तलवार इरादों की मै लड़ता गया
कदम दर कदम आगे बढ़ता गया
कुछ इस तरह मै अपनी किस्मत को गढ़ता गया
कदम दर कदम मै आगे बढ़ता गया



Thursday 19 May 2016

आसमान नीला क्यूँ होता है!


हाँ मेरी भी कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया थी जब ये सवाल मेरे कानो में पड़ा| पीछे मुड़ कर देखा तो एक 6 साल का बच्चा गुस्से में लाल जैसे अभी किसी से किसी बात पे भिड़ के आया हो मुझे पूछ रहा भैया बताओ न ये आसमान नीला क्यूँ होता है?? पहले तो मैंने सोचा इसको आज भौतिक विज्ञान के प्रकाश के प्रकीरण (scattering of light ) का सिधांत समझा ही देता हूँ और चलता करता हूँ| फिर न जाने मै क्यूँ मुस्कुराने लगा क्यूंकि लगभग इसी उम्र में मैंने ये सवाल किसी से पूछा था और मुझे जो जवाब मिला उस पर मै आज तक हँसता हूँ, हांलाकि कई सालों तक मै उसे सच ही मानता रहा जब तक ये भौतिक विज्ञान से मेरा पाला नहीं पड़ा| वैसे बताने को तो मै उसे कोई न कोई जवाब उसकी उम्र के हिसाब से बता ही देता पर मैंने उस बच्चे से नादान बनते हुए बोला   कल बताता हूँ पक्का उसने सोचा तो होगा कि क्या है ये इतना बड़ा हो गया और इतना भी नहीं पता...पर मेरे न बताने के पीछे शायद मेरा मन भी इस सवाल का सही जवाब खोजना चाहता था जो विज्ञान या और किसी ने मुझे कभी नहीं दिया, मैंने सोचा क्यूँ न इसका जवाब सीधा आसमान से ही पुछा जाये! पर भाई ये तो मुश्किल हो गयी आसमान से कांटेक्ट कैसे करूं?? रात हो चुकी थी और छत पे लेटा हुआ आसमान कि ओर देखते हुए बस यही सोचे जा रहा था ऊपर आसमान से कांटेक्ट कैसे करूँ?? फिर सोचा पता नहीं ऊपर कौन सी टेक्नोलॉजी चलती है? अभी भी तार से कांटेक्ट होता है या वो लोग भी मोबाइल पे अपडेट हो गए है?? अगर अपडेट हो गये है तो नेटवर्क कौन सा प्रयोग कर रहे है एयरटेल या रिलायंस ?? अब तो 4G आ गया है और कही एयरटेल वाली लड़की ऊपर तक तो नहीं पहुँच गयी?? उसी से जा कर नंबर लेता हूँ क्या पता उसके पास कोई टोल फ्री नंबर हो वैसे भी जिस हिसाब से ये होड़ चल रही है वहाँ तक तो पहुँच ही गए होंगे ये लोग! ये सोचते सोचते कब आँख लग गयी पता ही नहीं चला...कुछ देर बाद एक आवाज सुनाई दी अरे इतनी रात को क्यूँ परेशान कर रहा है?? मै आसमान हूँ बताओ क्या हुआ? आंखे खोली तो कोई नहीं था फिर आवाज आई अरे मुर्ख हम टेलीपेथी पे अपडेटेड है तुम लोग अभी बहुत पीछे हो मैंने बिना देर किय तुरंत मन में बोला फिर तो आपको सब पता ही होगा? अब बता ही दो आपका रंग नीला क्यूँ है? जवाब आया तुम्हे लगता है मेरा रंग अब भी नीला है ? मैंने इतनी जो लाइट्स लगाई है अपने घर में तुम लोगो के लिय अब वो नीचे से दिखते भी नहीं, पता नही क्या करते हो तुम लोग मै ढंग से साँस भी नहीं ले पाता....बुड्ढा होने लगा हूँ अब मै सफाई भी नही कर पाता...मुझे देख पहले नीचे बच्चे अपने कॉपी के पन्नो पे मेरी तस्वीर बनाया करते थे..रात को मेरी लगाई लाइटों को गिना करते थे..उनमे न जाने कितनी कहानियाँ उकेरते थे...मेरे पास आने की, मेरे घर में घूमने कि जिद किया करते थे| एक लाइट को तो वो मामा भी कहते थे...पर अब कोई नही ये सब करता, कोई नहीं मुझसे रात को बातें करता, अकेला होने लगा हूँ मै....जबसे तुम लोगो ने ये काला रंग फैलाना शुरु किया है....अब भी तुम्हे लगता है मै नीला हूँ?? बस इतनी ही बात हो पाई मेरी उनसे...पूरी रात मै सो नहीं पाया...अगले दिन जब उस बच्चे ने पूछा मिला जवाब आपको?? मै उसे गोद में लिया और आसमान कि तरफ दिखाते हुए बोला कि आसमान नीला है क्यूंकि तुम ये सवाल पूछ सको, आसमान नीला है क्यूँ कि वो जो सूरज देख रहे हो वहां तक जाने की सोच सको, आसमान नीला है क्यूंकि तुम उन बादलों पर स्केटिंग कर सको...आसमान नीला है क्यूंकि तुम ऐसे ही हंस सको और सुन्दर सुन्दर आसमान की तस्वीर बना सको और ये कहते हुए मैंने उसे एक रंगों का डिब्बा पकड़ाया और बोला आसमान नीला है क्यूँकि तुम इसमें और भी रंग भर सको अपने कल्पनाओ से अपनी लालच से नही!....मुझे नहीं पता उस बच्चे को मेरा जवाब कितना समझ आया होगा पर मुझे आखिरकार मेरा जवाब मिल गया था|